कल मेरे सामने एक सत्य खड़ा

कल मेरे सामने एक सत्य खड़ा

मुझे देख मुस्कुरा रहा था,

मैंने कहा “आज अचानक तुम आ ही गए

बहुत नुका-छुपी खेले मुझसे

बहुत प्रमाण दिए अपने झूठ होने का”

सत्य ने मुस्कुरा कर कहा

तुम समझ के भी नहीं समझते

झूठ हमेसा प्रमाण देती है

सत्य को इसकी जरुरत नहीं पडती

आज जब मेरा सामना हो ही गया

तो तुम और मजबूत हो गए

किसी को समझने की पहचाने का एक माध्यम हु मै  

अब तुम्हे धोखा देनें में कोई कामयाब नहीं हो सकता

जीवन पथ पे तुम एक बरगद की पेड़ की तरह खड़ा

हर तूफान का सामना कर सकते हो

हां मुझे तो आना ही था

अभी और भी बड़ा सत्य तुम्हारे सामने आने वाला है

खुद को मजबूत कर बस इंतजार करो.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

One thought on “कल मेरे सामने एक सत्य खड़ा

Leave a comment