चाहत ऐसी है की तेरे बिना सांसे न लू

दिल को अगर जुबा होती तो बहुत कुछ कहती
चाहत ऐसी है की तेरे बिना सांसे न लू
पर क्या करू तेरे लिए लेना पड़ता है.
वह जज्बात वह कशिश अब तुम्हारे अन्दर नहीं रही,
वह चाहत वह दिवानगी अब तुम्हारे अन्दर नहीं रही.
खुद बदली या दुनिया बदल दिया
तुम्हारे पास अब जबाब नहीं रही.
वक्त मिले तो कभी मेरे दिल के गहराई में
उतार कर देख लेना
सिर्फ तुम ही तुम नजर आएगी,
वक्त तो बदलता रहता है,बदलना इसका काम है
प्यार नहीं बदलता,कभी नहीं बदलता
मेरे अन्दर जो तुम्हारे प्रति चाहत है
जो इज्जत है,जो सम्मान है
जो प्यार है यह नहीं बदलता
वह कभी खत्म नहीं होता,कभी खत्म नहीं होता.

3 thoughts on “चाहत ऐसी है की तेरे बिना सांसे न लू

    1. कुछ जज्बात की बाते नहीं होती,कुछ लोगो से मुलाकाते नहीं होती.नन्हा पाखी का पर् निकल जाती है फिर वह दुबारा घोसला में वापस नहीं आती…

  1. दिल के चाहते हकीकत को आपने बड़े ही सिद्दत से सजाया है,बस यूँही उड़ जाने दो अब दिल में छिपे परवाज़ को,
    आज तो अरमानो के आशियाँ है, घोसले है, वरना ! एक लम्हा ऐसा आएगा की खुद ही ना पहचान पाओगे दिल के छुपे आवाज़ को !!

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